Wednesday, April 22, 2015

किसान व्यथाः उम्मीद और हौसले का कत्ल!


Credit- www.4to40.com

'किसान'

आग सी बरसती धूप में पसीने से लथपथ,
खेत जोतता है तू
खून जमा देने वाली ठंड में भी,
खेत को सींचता है तू,
दूर शहर में बैठे शहरवासियों का भी,
पेट भरता है तू,
दिन खेत पर गुजरता है,
रात सुबह के इंतजार में,
रंग लाएगी, एक दिन, 
रंग लाएगी.......
लहलहाती फसल
-----------------
Note: First broadcasted by DD National