Thursday, May 15, 2014

हमारी भी सुने कोई



 देश में किसानों की उपेक्षा हो रही है, इसका उदाहरण है कि जोधपुर के खेतासर गांव में किसानों के लिए खेती करना मुश्किल का सबब है। खेतासर के गांव की मिट्टी से सीधे रिपोर्ट:




पानी नहीं है, जो है वो भी खारा, बहुत खारा। जमीन में रेत है, खतरनाक रेत के कीट हैं फसल होने नहीं देते, थोड़ी बहुत हो भी गई तो नुकसान भोगना पड़ता है, फिर भी खेती करनी पड़ती है क्योंकि कोई और चारा भी नहीं। राजस्थान के जोधपुर के खेतासर गांव में किसान इसी मजबूरी में 
जी रहा है।
खेत में जूझते किसान, जोधपुर के गांव खेतासर गांव के खेत का दृश्य
  खेतासर के किसान जमीन होने के बावजूद भी उसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। अत्यधिक खारा पानी, रेतीली जमीन व अधिक तापमान की वजह से खेती करना खेतासर के किसानों के लिए मुश्किल हो गया है। धीरे-धीरे जमीन की उर्वरकता घट रही है और पनी नहीं होने की वजह से नमी भी।


करीब 1500 घरों के जोधपुर के खेतासर में किसान परिवार रहते हैं। गांव के एक बुजुर्ग किसान काकाकहते हैं कि सभी की सुनती है सरकार, लेकिन हमारी नहीं। अधिकारी भी समझाने नहीं आते कि अच्छी खेती कैसे हो। काका बताते हैं कि
Kaka, Farmer, Khetasar, Jodhpur
15-20 वर्ष पहले 200-300 फीट पर पानी निकल आता था जो अब नहीं निकलता। 


खारा पानी तक निकालने के लिए करीब 600 फीट की खुदाई (बोर) करना पड़ता है तब जाकर पानी देखने को मिलता है। पीते भी वही पानी हैं और सिंचाई भी उसी से करनी पड़ती है। 




काका आगे बताते हैं कि बोर (गहरी खुदाई) करवाना हर किसान की बस की बात नहीं होती इसलिए किसी-किसी किसान के पास ही पानी है, बाकी किसान उनसे ही पानी लेते हैं। जिसके बदले में तुड़ाई के बाद फसल का एक हिस्सा पानी देने वाले को देना पड़ता है, फिर चाहे पानी लेने वाले को नुकसान हो या फायदा। 



खेतासर में कठिनाइयों से भरी खेती को कई युवा किसान अपनाना नहीं चाहते हैं। उन्हें खेती से ज्यादा फायदा अब गांव से बाहर छोटा-मोटा काम करने में दिखने लगा है। 10वीं पास पदम सिंह गांव से बाहर जाकर ट्रांसपोर्ट की गाड़ी चलाता है। पदम ने बताया कि उनके पास जमीन होने केबावजूद वह खेती नहीं करना चाहता।

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